कक्षा चार से कविता लिखना प्रारम्भ करने वाले शिवेश के परिवार के अनेक सदस्य साहित्यिक पृष्ठभूमि से जुड़े हुए हैं। बनारस के रसों से सराबोर शिवेश के व्यक्तित्व का अपना निराला ही रंग है, जिससे मिलते हैं उसे अपना बना लेते हैं और उनकी कविताओं में एक खनक है जो कविता समाप्त होने के बाद भी श्रोताओं के मन में गूंजती रहती है। टाइम्स आफ इण्डिया से लेकर एनडीटीवी तक उनकी कविता पहुंची है। इस हुड़दंग में शिवेश भी अपनी उपस्थिति से रंग भरेंगे। द्वार ठीक साढ़े तीन बजे खुलेंगे, हमारे अपने लक्ष्मी नारायण मंदिर के सभागार में, चार मार्च २०१७ के दिन, आप भी आइयेगा हमारे साथ कविताओं का हुड़दंग मचाने।
First ever Hindi Hasya Kavi Sammelan of Sacramento region. We hope you can be there to have fun and listen to good poetry. This event is organized to support Sewa International.
Tuesday, February 21, 2017
हुड़दंग २०१७ - शिवेश सिन्हा
कक्षा चार से कविता लिखना प्रारम्भ करने वाले शिवेश के परिवार के अनेक सदस्य साहित्यिक पृष्ठभूमि से जुड़े हुए हैं। बनारस के रसों से सराबोर शिवेश के व्यक्तित्व का अपना निराला ही रंग है, जिससे मिलते हैं उसे अपना बना लेते हैं और उनकी कविताओं में एक खनक है जो कविता समाप्त होने के बाद भी श्रोताओं के मन में गूंजती रहती है। टाइम्स आफ इण्डिया से लेकर एनडीटीवी तक उनकी कविता पहुंची है। इस हुड़दंग में शिवेश भी अपनी उपस्थिति से रंग भरेंगे। द्वार ठीक साढ़े तीन बजे खुलेंगे, हमारे अपने लक्ष्मी नारायण मंदिर के सभागार में, चार मार्च २०१७ के दिन, आप भी आइयेगा हमारे साथ कविताओं का हुड़दंग मचाने।
Monday, February 13, 2017
हुड़दंग २०१७ - अभिनव शुक्ल
नई पीढ़ी के बहुप्रतिष्ठित कवि तथा व्यंगकार अभिनव शुक्ल हिन्दी काव्य मंचों पर अपने गुदगुदाते घनाक्षरी छंदों के लिए पहचाने जाते हैं। अपने आस पास घटने वाली घटनाओं से लेकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर बड़ी बेबाकी से कसे उनके व्यंग बाण किसी पत्थर का भी दिल आर पार करने की क्षमता रखते हैं। हमारे हुल्लड़ के सञ्चालन की बागडोर अभिनव के हाथों में है। द्वार ठीक साढ़े तीन बजे खुलेंगे, हमारे अपने लक्ष्मी नारायण मंदिर के सभागार में, चार मार्च २०१७ के दिन, आप भी आइयेगा हमारे साथ कविताओं का हुड़दंग मचाने।
हुड़दंग २०१७ - शकुंतला बहादुर
भारत में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से आने वाली डॉ शकुन्तला बहादुर लखनऊ विश्वविद्यालय तथा उससे सम्बद्ध महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय में ३७ वर्षों तक संस्कृत प्रवक्ता तथा विभागाध्यक्षा के पद पर कार्यरत रहने के बाद प्राचार्या पद से अवकाश प्राप्त हैं। वे जब मंच से अपना काव्य पाठ करती हैं तो उनकी रचना का शाब्दिक सौन्दर्य और प्रवाह सभी को प्रभावित करता है। वे भी हमारे संग हुल्लड़ में सम्मलित होकर इस कार्यक्रम की गरिमा में वृद्धि करेंगी। द्वार ठीक साढ़े तीन बजे खुलेंगे, हमारे अपने लक्ष्मी नारायण मंदिर के सभागार में, चार मार्च २०१७ के दिन, आप भी आइयेगा हमारे साथ कविताओं का हुड़दंग मचाने।
हुड़दंग २०१७ - प्रांजलि सिरासव
प्रांजली सिरासव, युनिवर्सिटी औफ़ कैलिफोर्निया – बर्कली में प्राध्यापिका हैं व साथ ही स्टैनफ़र्ड युनिवर्सिटी में साप्ताहिक हिन्दी रेडियो कार्यक्रम, “चाय टाइम” प्रसारित करती हैं।वो आसपास की ज़िंदगी को, दिल में आए ख़यालों को, बिना किसी विधा के बंधन में बांधे कागज़ पर उतारने की कोशिश करती हैं। यदि वो शब्द सुननेवाले के दिल तक पहुँच गए तो कविता कहलाते हैं अन्यथा प्रांजली उन शब्दों को अभिव्यक्ति का एक प्रयास मानकर फिर नए शब्द पिरोने में जुट जाती हैं। प्रांजलि भी हमारे साथ इस हुड़दंग में शामिल होंगी। द्वार ठीक साढ़े तीन बजे खुलेंगे, हमारे अपने लक्ष्मी नारायण मंदिर के सभागार में, चार मार्च २०१७ के दिन, आप भी आइयेगा हमारे साथ कविताओं का हुड़दंग मचाने।
Sunday, February 12, 2017
हुड़दंग २०१७ - मंजू मिश्रा
"ज़िन्दगी यूँ तो" नामक पुस्तक की लेखिका, मंजू मिश्रा अपनी रचनाओं में ज़िन्दगी की गहरी पड़ताल करती हैं। वे विशेष रूप से छोटी कविताएं, मुक्तक, क्षणिकाएं, हाइकू एवं लघुकथा लिखती हैं। उनके काव्य में संवेदना के स्तर पर अनेक प्रयोग देखने को मिलते हैं। कम शब्दों में बड़ी से बड़ी बात कहने का हुनर मंजू के पास है। मंजू भी हमारे संग हुड़दंग में रंग जमाएंगी। द्वार ठीक साढ़े तीन बजे खुलेंगे, हमारे अपने लक्ष्मी नारायण मंदिर के सभागार में, चार मार्च २०१७ के दिन, आप भी आइयेगा हमारे साथ कविताओं का हुड़दंग मचाने।
हुड़दंग २०१७ - आलोक शंकर
आलोक शंकर बे एरिया में रहते हैं। जब वक्त मिले कवितायेँ लिख लेते हैं । कविताओं का स्वर उम्र के साथ बदलता रहा है। अमेरिका आने से पहले पत्रिकाओं, कवि सम्मेलनों, रेडियो, संकलनों आदि पर कविताएँ की हैं । एक हिंदी फिल्म के लिए गीत भी लिखा जिसे मोहित चौहान ने गाया है। आलोक भी हमारे संग हुड़दंग में शामिल होंगे। द्वार ठीक साढ़े तीन बजे खुलेंगे, हमारे अपने लक्ष्मी नारायण मंदिर के सभागार में, चार मार्च २०१७ के दिन, आप भी आइयेगा हमारे साथ कविताओं का हुड़दंग मचाने।
हुड़दंग २०१७ - शोनाली एवं मनीष श्रीवास्तव
शोनाली और मनीष बे एरिया में रहते हैं तथा गीत, संगीत और सुरों के रंग इस संसार में भरते रहते हैं। मनीष हाइकु, लिमरिक से लेकर छंदों तक में अपनी ज़ोर आजमाइश करते हैं और वहीं शोनाली भी कविताओं में कोमल स्वरों को स्थान देती रहती हैं। यह सांस्कृतिक कलाकार दम्पति भी हमारे साथ हुड़दंग मचाने आ रहा है। द्वार ठीक साढ़े तीन बजे खुलेंगे, हमारे अपने लक्ष्मी नारायण मंदिर के सभागार में, चार मार्च २०१७ के दिन, आप भी आइयेगा हमारे साथ कविताओं का हुड़दंग मचाने।
हुड़दंग २०१७ - प्रतिभा सक्सेना
हिंदी साहित्य की उद्भट विद्वान एवं सुप्रसिद्ध लेखिका डॉ प्रतिभा सक्सेना फॉल्सम में रहती हैं। गद्य और पद्य दोनों में उन्होंने खूब लिखा है। उनके द्वारा रचित "उत्तर कथा" को हिंदी भाषा के एक कालजयी ग्रन्थ के रूप में देखा जाता है। उनकी उपस्तिथि इस वर्ष के हुल्लड़ को गरिमा प्रदान करेगी। द्वार ठीक साढ़े तीन बजे खुलेंगे, हमारे अपने लक्ष्मी नारायण मंदिर के सभागार में, चार मार्च २०१७ के दिन, आप भी आइयेगा हमारे साथ कविताओं का हुड़दंग मचाने।
Saturday, February 11, 2017
हुड़दंग २०१७ - निहित कौल
हुड़दंग २०१७ - नीलू गुप्ता
हुड़दंग २०१७ - अर्चना पांडा
पिछले दशक में जिन कवयित्रियों नें अपनी उपस्थिति को पूरी धमक के साथ मंच पर दर्ज कराया है उनमें अर्चना पांडा का नाम अग्रिम पंक्ति में आता है। अर्चना पंडा बे-एरिया में रहती हैं। अर्चना भारत से अभियांत्रिकी तथा प्रबंधन की शिक्षा ग्रहण कर १९९९ में अमेरिका आयीं हैं। कविता के साथ इनकी गहरी रूचि गायन , वादन, नृत्य, भाषा एवं साहित्य में भी है. भारत से अमेरिका आई प्रवासी नारी के मन की उथल पुथल को अर्चना नें अपनी कविताओं में एक सशक्त अभिव्यक्ति दी है। अर्चना की कविताएं आपको हंसयेंगी भी तथा अपने भीतर झांक कर देखने के लिए प्रेरित भी करेंगी। अर्चना भी हमारे साथ इस हुड़दंग में शामिल होंगी। द्वार ठीक साढ़े तीन बजे खुलेंगे, हमारे अपने लक्ष्मी नारायण मंदिर के सभागार में, चार मार्च २०१७ के दिन, आप भी आइयेगा हमारे साथ कविताओं का हुड़दंग मचाने।
हुड़दंग २०१७ - जय श्रीवास्तव
इस वर्ष के हुड़दंग में अपनी कविताओं से रंग भरेंगे, अल डोराडो हिल्स में रहने वाले जय श्रीवास्तव। उत्सव और उल्लास जय की प्रवृत्ति में हैं और अच्छी कविता की समझ उन्हें अपने पिता से विरासत में प्राप्त हुई है। सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने वाले जय को इस हुड़दंग में सुनकर आपका मन भी गार्डन गार्डन हो जाएगा। द्वार ठीक साढ़े तीन बजे खुलेंगे, हमारे अपने लक्ष्मी नारायण मंदिर के सभागार में, चार मार्च २०१७ के दिन, आप भी आइयेगा हमारे साथ कविताओं का हुड़दंग मचाने।
Friday, February 10, 2017
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