Saturday, February 11, 2017

हुड़दंग २०१७ - निहित कौल


निहित कौल जब डूब कर अपना गीत सुनाते हैं तो मानो वक्त थम सा जाता है। जब उन्हे अपनी व्यस्त दिनचर्या से फुर्सत मिलती है तो वह हिन्दी व उर्दू में कविताएँ और गीत लिखना पसंद करते हैं| वह संगीत में भी रुचि रखते हैं और अपनी रचनाओं को लय में ढाल कर सुनाते हैं| वे भी हमारे संग हुड़दंग करेंगे। द्वार ठीक साढ़े तीन बजे खुलेंगे, हमारे अपने लक्ष्मी नारायण मंदिर के सभागार में, चार मार्च २०१७ के दिन, आप भी आइयेगा हमारे साथ कविताओं का हुड़दंग मचाने। 

No comments:

Post a Comment